Transcribed by : Sunayana Kachroo
किताब-ए-दिल
किताब-ए-दिल
Gauri - बहुत-बहुत स्वागत है आप सबका Foundations Tv में। हम हैं आज
अपने एक नए स्टूडियो में हैं और हमारे साथ है बहुत ही खूबसूरत मेहमान और कुछ
खूबसूरत लोग जो आपको बताने वाले हैं एक बहुत ही खूबसूरत और बहुत ही हसीं शाम के बारे में, तो चलिए मिलते
हैं हमारे मेहमानों से।
Siraj - किताब-ए-दिल ....
Swathi - किताब-ए-दिल ?
Gauri --क्या है यह
किताब-ए-दिल ?
Kumkum --एक शाम ग़ज़लों के नाम ।
Razia --ग़ज़ल?? कहतें हैं ग़ज़ल
उर्दू शायरी की आबरू हैं।
(Siraj and
Swati )- Indian सिमेना की चंद selected ग़ज़लें जो हम लेके आ रहे हैं।
Gauri:-यह आप लोग किस दौर की बातें कर रहे हैं ?
Razia - यह दौर है 50's से 80's
तक का , हिंदुस्तानी सिनेमा का black and white दौर।
Kumkum -वह गजलें जो आज
भी हमारे दिलों में जिंदा हैं।
Siraj- रूह-ए-साहिर, चौपाल और मधुबाला
के बाद आपके लिए एक और नयी महफ़िल।
(Song लिख दो
किताब-ए-दिल पे कोई ...)
Siraj : दो चीज़ें। एक तो
यह है कि मैं बताना चाहता था कि गजलों ने Indian Films में क्या role अदा किया हैं ? दूसरा मुबारक
बेगम जो कि बहुत ही Senior
Singer है और इस वक़्त काफी difficulties में है, तो मुबारक बेगम को इसमें ......तो दोनों चीज़ों
को इसमें connect करने की कोशिश की
हैं।
Gauri : बहुत ही नेक ख़याल हैं।
चलिए जानते हैं हम Razia Ji से कि यह जो नाम हैं किताब-ए-दिल
..कितना खूबसूरत सा नाम है, दिल तो छूने वाला
नाम है तो उसकी क्या एहमियत हैं इस कार्यक्रम में?
Razia :शुक्रिया गौरी आपने हमें इतना chance दिया यहाँ पे आज भुलाया और इतने खूबसूरत program के बारे में यह महफ़िल मुनाकिद की। असल में
हिंदी Cinema में उर्दू शायरी ने जो grace दिया था हम उसको celebrate कर रहे हैं। Off-course आपको पता ही हैं की यह मुबारक बेगम जी के लिए
हैं पर उसके साथ-साथ हम उर्दू
शायरी को भी stage कर रहे हैं। इसी लिए हमने इसका नाम किताब-ए-दिल रखा है जो
खालिस उर्दू में हैं।
Gauri : बहुत प्यारा सा नाम हैं।
Razia : Thank you so much.
Siraj : तो आईए चले Kumkum से जानते हैं, मालूम करतें हैं
उनकी दिलचस्पी इस program में कैसे हुई ? Kumkum हमे बताएंगी आप please
?
Kumkum: Siraj
साहब आप और हम जब
program में जातें हैं या
घर पर गाने सुनते हैं वह हमारे ज़हन में उतर जातें हैं मेरे लिए सबसे ज़रूरी हैं
"लफ्ज़" The
words of the song.
मिसाल के तौर पर साहिर साहब की यह कुछ Lines
सुनिए "चलो
एक बार फिर से .." उसमे देखिये दो lines हैं "वह अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो
मुमकिन --उसे एक खूबसूरत मोड़ देके छोड़ देना अच्छा” । तो यह छोटी सी
दो Lines में उर्दू शायरी
ने ज़िन्दगी और रिश्तों की कितनी एहम बात कह दी, यही मेरी
दिल्चापसी हैं।
Gauri : चलिए जानतें हैं Swati Subramaniam से की उनका क्या role हैं और आपको
कैसा लग रहा है, Swati बताईए हमारे दर्शकों को ?
Swati :बहुत बढ़िया लग रहा है और वैसे मुझे बड़ी ख़ुशी हैं कि मैं इस शायराना महफ़िल में शामिल हूँ और यह मेरा पहला
तजुर्बा हैं and I would
hope कि आप सब आयें किताब-ए –दिल ।
September 28th
Saturday evening at 6 Lexington Street, Burlington , See You There .
Gauri :
Very Nice, और यह सारी जानकारी आपको मिल
सकती हैं किताब-ए-दिल के facebook के event पर या Foundations Tv के facebook page पर। ज़रूर आईएगा।
हम सब आपको मिलना चाहतें हैं और चाहतें हैं की आप सब उतना ही इसमें enjoy करें जितना हम enjoy कर रहे हैं।
Siraj : तो बहुत खूब! खवातीन-ओ-हजरात मैं आपसे गुज़ारिश कर रहा हूँ कि आप आईए इस
महफ़िल में और बहुत से शौरा का कलम आपको सुनने को मिलेगा जिसमे Majrooh
Sultanpuri, Sahir
Ludhyanvi, Shakeel
Badayuni,Mirza Ghalib ,
Jaan Nisar Akhtar, Gulzar, Rajendra Kishen और बहुत
सारे शौरा इसमें शामिल हैं और मुझे उम्मीद हैं की आप आएंगे और बहुत enjoy करेंगे
Gauri : तो जितने दर्शक हमारे देख रहे हैं इस प्रोग्राम को वह ज़रूर
आना चाहेंगे , किताब-ए-दिल मैं तो please उन्हें
बताईये की उन्हें tickets कहाँ से मिलेंगे ?
Swati : बस Gauri ,
Tickets किताब-ए- दिल के लिए पूरे Boston में सिर्फ एक ही जगह से मिल सकतें हैं वह
है Boston Desi
Connection.
Gauri : क्या बात हैं!!!!!!
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